Hindi seks umas bhari larki
Adhik dikhaen
Chhipaen
Inke dvara prkashit Desimasala6969
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दोस्तों, कहाणी के पहले भाग में अब तक आपने सुना था कि कैसे राहूल से मिलने के बाद मैं अपने जिस्म में आग सी लगती महसूस कर रही थी।
जिसे मैं खुदी अपने बिस्तर पर बुज़ाने का प्रयास कर रही थी।
अब आगे की कहाणी सुनिये।
मैं अपनी लाडो सी चूद को सहला रही थी।
मेरी उंगलियां मेरे चूद के दाने को रगडने में लगी थी।
चूद में भाब से निकल रही थी।
चूद पर रखी मेरी हतिली मानो अपने आप मेरी चूद से प्यार कर रही थी।
इस प्यार के ओर मेरी लोवर आड़े आ गई।
तो मैंने अपनी गाणड उठा कर लोवर उतार दी।
फिर पैंटी भी आड़े आ गई।
तो मैं पैंटी को भी उतार कर हाथुं में ले लिया।
मेरा एक हाथ मेरी चूद को सहला रहा था।
तो दूसरे हाथ से मैं पैंटी को सूंग रही थी।
आज मेरी चूद रस में भीगी, मेरी पैंटी में सी मतोश करने वाली महक मुझे सरवबार करने लगी।
सब कुछ मेरे बस आपे से बाहर हो रहा था।
अब मेरे बोबे ब्रा की कैच से छूटने को बेताब से हो रहे थे।
मैंने अपनी टीशट उपर करके पैंटी हाथ में लेकर बोबो पर रकड़ते हुए अपने मम्मों को सहलाने लगी।
मेरी चूचीओं के निपल खड़े होने लगे।
मैंने तुरंद अपनी टीशट उतार कर अपनी ब्रा उतार दी और एक निपल को बेरहमी से खीचने लगी।
मेरे मुझसे सिसकारिया निकलने लगी दोस्तों।
मेरी टांगे एक दूसरे से रकड़ खाने लगे।
मैं कभी पैंटी को बोबो बेरगरती, कभी अपने होटो पर।
मैं तो ये भूल गई कि इस टाइम मेरे कमरे में, मेरे बेट पर मेरी ही सहीली शिखा भी लेटी हुई थी।
वो मेरी इस कामागनी को देख रही थी।
और वो न केवल मुझे ये सब करते देख रही थी, बलकि खुद भी अपनी लोवर में हाट डाल कर अपनी चूद का बुर्ता बनाने थी। जद हो जद कहरे थी।
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